अरुण कुमार पानीबाबा के भोजन और स्वास्थ्य संबंधी लेखों का संचयन:
अरुण कुमार का जन्म दो सितंबर 1941 को दिल्ली में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1965 में स्नातक किया था। वे एक पर्यावरणविद्, समाजशास्त्री और राजनीतिक चिंतक थे। उन्होंने सन् 1985 से 1987 के बीच राजस्थान के मरुस्थल में पानी मार्च करते हुए जल दर्शन को समझा और तभी से पानीबाबा कहलाए।
गंगा को पुनः अवतरित करने के लिए गाय, गंगा, हिमालय बचाओ अभियान चलाया। मारवाड़ के क्षेत्र में पड़े अकाल के दौरान मरुस्थल को समझा तथा पानी के प्रति चेतना जगाने के लिए पानी चेतना समिति का गठन किया। गांव-गांव में पानी के संरक्षण की अलख जगाने के लिए तीन सालों तक पानी मार्च किया। यूनाइटेड नेशन यूनीवर्सिटी, टोकियो के लिए सामाजिक शोध कार्य किया।
सन् 1988-89 में सेंटर फार स्टडीज, सूरत के फेलो रहे और अकाल सर्वेक्षण कार्य संपादित किया। अकाल की विभीषिका और पानी की समस्याओं को समझने के लिए 1990 में मरुस्थल विज्ञान भारती की जोधपुर में स्थापना की। इसके अतिरिक्त वे अनेक समानधर्मी संस्थाओं में सलाहकार और प्रेरक के रूप में जुड़े रहे।
उन्होंने भारतीय विज्ञान एवं तकनीकी संस्थान (आइआइटी) दिल्ली, पेट्रियोटिक पीपील आरिएंटेड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एशियन सोशल फोरम, ट्रिपल आइटी हैदराबाद और आइआइटी दिल्ली के वैल्यू एजुकेशन विभाग में वर्नाकुलर विज़डम के अतिथि व्याख्याता रहे।
पर्यावरण, राजनीति, शिक्षा, गुड गवर्नेंस, भारतीय संस्कृति तथा परंपरागत भोजन, विज्ञान आदि विषयों पर भारत के प्रमुख समाचार पत्रों में लेख प्रकाशित हो चुके हैं। अन्न-जल नामक पुस्तक लिखी, जो नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित है। इसके अलावा भारत का जल धर्म नाम से भी एक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। इस ब्लाग में उनके भोजन संबंधी असंकलित लेखों को प्रस्तुत किया जाएगा।